दारू के व्यसन से मुक्ति कैसे पायी जा सकती है ?
दारू के व्यसन से मुक्ति पाना संभव है, किंतु इस के लिए अनेक स्तर पे उपचार करने की आवश्यकता होती है. किसी भी व्यक्ति को इस से मुक्त करने के लिए यह समझना उपयुक्त है कि वि इस व्यसनाधीनता में किस कारण फसता गया है.
दारू के व्यसन से मुक्ति पाने के उपचारों को सामान्यत: पांच मुख्य गुटों में बाँटा जा सकता है. यह है :
- परामर्श एवम आधार की व्यवस्था
- मानसिक समस्याओंका समाधान
- शारिरीक समस्याओं का समाधान
- विलासी प्रवृत्ती या जीवनशैली
- नशे कीघृणा निर्माण करनेवाली दवाएँ
- परामर्श एवम आधार की व्यवस्था
किसी भी व्यसन से मुक्ति पाते समय व्यक्ति को किसी ना किसी रूप में आधार एवम परामर्श की आवश्यकता रहती है. प्रारंभ स्तर पे इस की आवश्यकता सर्वाधिक रहती है, क्यों की किसी योजना के बिना यह मुक्ति संभव नहीं हो सकती. परामर्श करनेवाला व्यक्ति ना की केवल योजना बनाता है, किंतु वो योजना लागू करने के पश्चात समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार वो योजना में परिवर्तन भी लाता रहता है. जिस समय व्यसनाधीन व्यक्ति के मन में व्यसन से मुक्ति पाने की तीव्र इच्छा जागती है, हो सकता है कि उस समय व्यसनाधीन व्यक्ति को शारिरिक, मानसिक, आर्थिक स्तर पे आधार की आवश्यकता पडे. ऐसे समय उस व्यक्ति को योग्य आधार मिल जाए, तो व्यसनाधीनता के विरुद्ध का यह संघर्ष कुछ अंश में सहज हो सकता है.
समस्याओं के मुख्य भेद
- मानसिक समस्याओं का समाधान
व्यसनाधीनता के कारणों में से कुछ कारण मानसिक स्तर के हो सकते है. सामान्यत: तनाव व चिंता यह व्य्सनाधीनता के प्रमुख कारण रहते है, किंतु व्यक्ति के जीवन में ऐसी कोई भी ठेंच जो वो सह ना सके, दारू के व्यसन का कारण बन सकती है. हो सकता है कि यह ठेंच व्यक्ति के आत्मसन्मान को लगी हो, या फिर उस ठेंच ने उस की किसी क्षमता पे प्रश्नचिन्ह उठाया हो. मानसिक रूप से निर्बल व्यक्ति ऐसी ठेंच सह नहीं पातेतथा ऐसे समय पर ठेंच को, अपमान को, तनाव तथा चिंता को भुलाने के लिए दारू को अपना लेते है. इस प्रकार के कारणों में व्यक्ति का मानसिक संतुलन योग्य पथ पे लाने के लिए इन समस्याओं का मूलत: समाधान आवश्यक होता है, अन्यथा सुधार के पथ पर चला व्यक्ति, किसी और प्रसंग के कारण, फिर से व्यसनाधीनता के चंगुल में फंस सकता है.
मानसिक समस्याओं के पीछे कभी कभी आर्थिक समस्याएं भी रहती है. हो सकता है इन आर्थिक समस्याओंसे मुक्ति पाने का कोई सहज, सरल मार्ग ना हो, पर व्यक्ति को उन समस्याओं से जूझने की शक्ति तो निश्चित रूप में दी जा सकती है. इस के लिए योग्य व्यक्ति से परामर्शकरकेउपलब्ध मार्गों की जानकारी लेनातथा उस पथ पर आनेवाली समस्याओं को कैसे सुलझाया जा सकता है इस का ज्ञान प्राप्त कर लेना तो निश्चित ही संभव है.
शारिरीक समस्याओं का समाधान
व्यसनाधीनता के पीछे कुछ शारिरीक समस्याएं भी हो सकती है. किसी भी प्रकार की शारिरीक असमर्थता या व्याधी जिससे सामना करना व्यक्ति को किसी भी कारण से संभव ना हो, मानसिक स्तर पे व्यक्ति को असहाय्य बना देते है, जो अंतिमत: दारू के व्यसन का कारण बन सकता है. प्रतिदिन के परिश्रमों के कारण शरीर को अनेक प्रकार के तनावों को झेलना पड सकता है. इन तनावों को भुलाने के लिए परिश्रमी व्यक्ति सहज उपाय धुँडता है, तदनन्तर दारू के व्यसन में फँसता है. अगर व्यसनाधीनता के पीछे इस प्रकार के कारण हो, तो उन कारणों का समाधान धुंडना आवश्यक है. क्यों की यह संभव है कि यह कारण अगर बने रहे तो दारू से मुक्ति पाने के पश्चात भी दुबारा वो व्यक्ति दारू को अपनाने लगे.
दारू छोडते समय
इस के अलावा, दारू छोडते समय भी किसी भी व्यक्ति को अनेक शारिरीक समस्याओं का सामना करना पडता है. सामान्यत: इन्हे Withdrawal Symptoms कहा जाता है. दारू के Withdrawal Symptoms में प्रमुख है, शरीर का काँपना,पसीना आना, क्षुधा घट जाना, मानसिक क्षोभ बढना,चिड़चिड़ापन, मानसिक अस्थिरता, चिंतित होना, उल्टी होना,हृदय का अधिक गति से धडकना,स्थितिभ्रान्ति, शिरोवेदना,अनिद्रा आदि. इन सब लक्षणों से उत्पन्न होती है दारू पीने की अनिवार इच्छा. कुछ औषधियों का उपयोग करके इस इच्छा पे जीत पाना आवश्यक होता है.
कुछ अन्य कारण
- विलासी प्रवृत्ती या जीवनशैली
किसी भी प्रकार की शारिरीक या मानसिक या आर्थिक समस्या न होते हुए भी कुछ लोग व्यसनाधीनता का शिकार हो सकते है. इस के कारण सामान्यत: व्यक्ति की प्रवृत्ती, संसाधनोंकी विपुलता के कारण आनेवाली ढिलाई या असावधानी, तथा वो व्यक्ति किन व्यक्तियों से जुडा हुआ है, कौन से माहोल में रहता हैइन तथ्यों से से जुडे हुए हो सकते है. इस प्रकार की व्यसनाधीनता में मानसिक स्तर पे उपचारों की आवश्यकता के साथ साथ व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एवम उसे सामान्य व्यक्ति को जीने के लिए किस प्रकार का संघर्ष करना पड रहा है इस का वास्तविक अनुभव देने की आवश्यकता पड सकती है. कभी कभी किसी व्यक्ति को उस के भाग्य के कारण जो सहजता से मिला है,कठोरता से उस का, उस व्यक्ति कोअनुभूतिकराना आवश्यक होता है.
- नशे का घृणा निर्माण करनेवाली दवाएँ
ऊपर दिए हुए सारे उपचारों के अलावा जिस उपचार का लाभ अवश्य होता है, वो है नशे का घृणा निर्माण करनेवाली दवाएँ. सामान्यत: ऐसी दवाएँ या पदार्थ, व्यसनाधीन व्यक्ति को बताये बिना उसे खिलाये जाते है. इन को उस व्यक्ति के खाने में मिलाके या किसी और व्याधि का उपचार बताके खिलाये जाते है. नियमित स्वरूप से तथा योग्य मात्रा में प्रयोग किया जाये तो सामान्यत: इनका परिणाम तीन से छह महिनों के भीतर ही दिखायी देता है.