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दारू के घातक व्यसन का नकारात्मक प्रभाव

दारू या मदिरा या शराब पीना एक घातक व्यसन है, जो केवल दारू पीनेवाले व्यक्ती को ही नहीं, पर उस के कुटुंब को भी धीरे धीरे खोकला कर देता है. दारू पीने के पश्चात मस्तिष्क में एंडोर्फिन नामक रसायन की मात्रा बढती है. यह रसायन मस्तिष्क को सब कुछ यथायोग्य चल रहा है, अच्छा है ऐसी अनुभूती देता है. इस अनुभूती से जुडी हुई है मस्तिष्क की एक विशेष प्रणाली जिसे ब्रेन रिवार्ड सिस्टिम के नाम से जाना जाता है. यह प्रणाली, मस्तिष्क को उन अनुभवों के कारणों से अधीन कर देती है, जिन के कारण मस्तिष्क को ‘सबकुछ ठीक’ का अनुभव होता है. एक प्रकार से दारू के अधीन होने का प्रमुख कारण भी यही प्रणाली है.

दारू से शरीर पे होनेवाले प्रभावों कोअल्पकालिक प्रभाव तथा दीर्घकालिक प्रभाव ऐसे दो स्तर पे देखा जा सकता है.

अल्पकालिक प्रभावों में मानसिक आशंकाए, व्याकुलता कम होना, शरीरके अनेक भागों का नियंत्रण कम होना, अतिउत्साहित, अतिउत्तेजित हो जाना या खिन्नता में बढोत्री, स्मरणशक्ती से संबंधित गतिविधियों के स्तर में गिरावट, आकलनशक्ती में घटौती आदि परिणाम स्पष्ट रूप से दिखते है. परिणामों की मात्रा या व्यप्ति, व्यक्तिनुसार भिन्न भिन्न हो सकती है. अधिक मात्रा में मदिरापान करने पर बेसुध होने का, कुछ समय के लिए अचेतावस्था प्राप्त होने का संभव रहता है. अत्यधिक मदिरापानके कुछ परिणाम चेतावस्था प्राप्त होने के पश्चात भी रहते है, जिन को एकत्रित स्वरूप में ‘हँगओव्हर’कहा जाता है. इन में सुन्नपन, शरीर की जडता, उल्टी होना, मस्तिष्कपीडा, चक्कर आना, मुखशुष्कता, क्षुधा की संवेदना न होना जैसे परिणाम देखे गये है.

दीर्घकालिक प्रभाव

दीर्घकालिक प्रभावों में मस्तिष्क को स्थायी स्वरूप की क्षति, यकृतसंबंधित व्याधियाँ, कॅन्सर, शरीर के अनेक भागों में चर्बी बढना, सूजन, रक्ताल्पता,उच्च रक्तचाप,पाचन तंत्र के विकार, अग्नाशय की समस्याएं, प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित विकारआदि परिणाम दिखते है.

मस्तिष्क से संबंधित व्याधियों में उन्मादमें स्थायी स्वरूप से वृद्धी,गंभीर स्तर की विस्मृती, मस्तिष्क संकोचन, मनोदशा और संज्ञानात्मक क्षमताओं में अस्थिरता आदि परिणाम पाए गये है.

यकृतसंबंधी विकारों में यकृत में मेदवृद्धी, यकृतशोथ, यकृत से संबंधित कार्यक्षमता में घटौती आदि परिणाम पाए गये है.

मलाशय का कॅन्सर, यकृत का कॅन्सर, स्तनों का कॅन्सर, गले का कॅन्सर, ग्रासनली का कॅन्सर, मुँह का कॅन्सर आदि सभी प्रकार के कॅन्सर दारू की अधिक व दीर्घकाल प्राशन से हो सकते है.

नि:संशय दारू एक घातक व्यसन है जिस को छुटकारा पाने के लिए नशा बंद जैसे आयुर्वेदिक औषधी को अपनाना चाहीए.

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