तम्बाकू के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव
तम्बाकू एक मंदगती विष के समान है. किसी भी रूप में इस के अत्यधिक सेवन से मानव स्वास्थ्य पर अतिप्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
कॅन्सर का कारण
कॅन्सर का कारण बननेवाले प्रमुख दोषियों में से एक है इसका नियमित रूप सेवन. तम्बाकू में लगभग सत्तर रसायन होते हैं, जो कॅन्सर का कारण बन सकते हैं. लगभग 50% लोग जो नियमित रूप से तम्बाकू का सेवन करते हैं, उन में स्वास्थ्य से संबंधित अनेक जटिल समस्यांए निर्माण हो जाती है, जिस के परिणामस्वरूप मृत्यु भी हो सकती है. तम्बाकू के उपयोग से होने वाले रोग सामान्यत: मुंह, फेफड़े, हृदय तथा लीवर से संबंधित होते हैं. गुर्दे, मूत्राशय और अग्न्याशय के कॅन्सर में भी तम्बाकू का अनिष्ट योगदान पाया गया है. तंबाकू का सेवन न करने वाले लोगों की तुलना में, तम्बाकू उपभोक्ता में औसत जीवन प्रत्याशा भी कम होती है.
निकोटीन
तम्बाकू की व्यसनी प्रकृति मुख्य रूप से निकोटीन के कारण है. निकोटीन भौतिक तथा मनोवैज्ञानिक प्रकार की निर्भरता बनाता है, जिसे त्यागना सहज नहीं होता. इस के धुएँ में कुछ रसायन ऐसे होते हैं,जो मानव डीएनए से जुड़ जाते हैं और उत्परिवर्तन का कारण बनते हैं. अंततः लंबी अवधि के पश्चात, इसका परिणाम कॅन्सर के रूप में सामने आ सकता है.दुर्दैवशात यह उत्परिवर्तन अगली पीढ़ी में भी आगे बढ़ सकते है, जिस के कारण अगली पिढी में कॅन्सर होने की संभावना बढ जातीहै.
तम्बाकूसेवन या खपत
तम्बाकूसेवन या खपत विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं. व्यसनाधीनों में अधिकतर धूम्रपान सबसे प्रिय पद्धती है, परविभिन्न रूपों में तम्बाकू चबाना भी तम्बाकू सेवन की एक मुख्य पद्धती है.
धूम्रपान की प्रमुख पद्धतीयों में, सिगरेट या सिगार का अधिकतर उपयोग होता हैं.बीड़ी, हुक्का आदि उसी के स्थानीय संस्करण हैं. जहां पर किसी अन्य व्यक्ति की धूम्रपान की आदतों के कारण तम्बाकू के धुएं का सेवन हो जाता है, उसे निष्क्रिय धूम्रपान कहाँ जाता है. इसकी तीव्रता कम होती है पर फिर भी इस का प्रभाव भी विपरीतही होता हैं. दांतों, मुंह, गले, फेफड़े और पेट के अधिकांश आंतरिक अंगों पर धूम्रप्रान प्रतिकूल प्रभाव, अंदर गये धूएं के कारण होता है, जिस मे अनेक घातक रसायनों के छोटे छोटे कण होते है.
प्रत्यक्ष सेवन
तम्बाकू की गोली बनाके उसे लंबे समय तक मुँह में रखके चबाने की पद्धती बहुत काल से प्रचलित थी, इस के अलावा पान के पत्तों के साथ तंबाकू का विभिन्न रूपों में सेवन किया जाता था.इस पद्धती से सेवन करनेवालों की संख्या में कुछ दशक से घट हुई है तथा तम्बाकू व अन्य पदार्थो के मिश्रण से बने गुटका जैसे कई पदार्थ आज अधिक लोकप्रिय है. लंबे समय तक तंबाकू को मुंह में रखने से रसदार लार निकलता है, जो नशे के लिए आवश्यक ‘किक’ देता है. यह लारमुंह में कई अल्सर का एककारण बनता है एवम भविष्य में मुंह का कॅन्सर के लिए कारण बन सकती है. दांतों की सड़न इस प्रकार की खपत का एक और दुष्प्रभाव है.