विज्ञानदृष्टी से व्यसनाधीनता – मादक पदार्थों का सेवन
सामान्यत: लोग यह नहीं जानते कि दूसरे लोग नशे के अधीन क्यों हो जाते हैं. यह एक व्यापक अयोग्य धारणा है कि जो लोग व्यसनाधीन हो जाते है, उन में नैतिकता का अभाव या त्रुटी रहती है या उनमें कम इच्छाशक्ति होती है.वास्तव में, मादक पदार्थों का सेवन तथा व्यसन, एक बहुत ही जटिल व्याधी है.
केवल नीयत भली होने से या दृढ इच्छाशक्ती होने से व्यसन छुटने का प्रतिशत लगभग शून्य है. जो लोग, मादक पदार्थों का व्यसन छोडना चाहते हैं, उन्हें अपने स्वयं के मस्तिष्क से लड़ना पड़ता है. यह लडाई केवल तार्किक स्तर पर नहीं होती, इसके भौतिक पहलू भी हैं.
व्यसनाधीनता
मादक पदार्थ मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करते हैं, यह तथ्य शोधकर्ताओं ने अब ढुंढा है. व्यसनाधीनता के उपचारों को ढूंढने में, इस ज्ञान का उपयोग हो रहा हैं. अंतिमत: इस का लाभ उन्ही लोगों को होगा जो मादक पदार्थों के व्यसन से उबरने तथा सामान्य जीवन जीने का प्रयास करना चाहते है.
व्यसनाधीनता एक चिरकालिक व्याधी जैसी होती है. इस में मादक पदार्थों का सेवन तथा उन के खपत की अनिवार्यताइस प्रकार से होती है कि, हानिकारक परिणामों को जानने के पश्चात भी उसे नियंत्रित करना बहुत कठीन होता है.सामान्यत:किसी भी व्यसन का प्रथम उपयोग,अधिकतर लोगों के मामले में स्वैच्छिक होताहै, किंतु धीरे धीरे उपभोगकी मात्रा तथा संख्या में निरंतर वृद्धी होते होते, एक ऐसा पडाव आता है जहाँ मस्तिष्क के अंतर्गत व्यवहार में परिवर्तन होता है. व्यसनाधीनताकी इस अवस्था में व्यक्ति के आत्म-नियंत्रण को, उनके स्वयं के मस्तिष्क द्वारा चुनौती दी जाती है.
उपचारों का ही विरोध
उपचार से गुजरते हुए,मस्तिष्क उन उपचारों का ही विरोध करता है तथा ऐसे शरीर में ऐसे लक्षण निर्माण हो जाते है कि मानो उपचार काम ही नहीं कर रहा हो. उपचार चालू होने के पश्चात, व्यसनाधीन व्यक्ति कैसे प्रतिक्रिया देता है, इसके आधार पर उपचारों को समायोजित किया जाना चाहिए. उपचार योजनाओं को निरंतर समीक्षा एवम उपचार की पद्धती को संशोधित करने की आवश्यकता पड सकती है.
रिवार्ड सर्किट
मस्तिष्क का ‘रिवॉर्ड सर्किट’ , मस्तिष्क संरचनाओं और तंत्रिका मार्गों का एक संग्रह है, जो उनप्रेरणा, इच्छा, तृष्णा एवम भावनाओं के लिए उत्तरदायी होता हैं, जो आनंद का अनुभव देती है.अधिकांश मादक पदार्थ मस्तिष्क के इस ‘रिवार्ड सर्किट‘ को ही प्रभावित करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप ‘डोपामाइन’ नामक एक रसायन निर्माण होता है जो लंबे समय तक रहने वाला उत्साह तथा ‘All is well’ का अनुभव कराता है. इस ‘रिवार्ड सर्किट’ में डोपामाइन के कारण होनेवाला परिवर्तन अंततः, मादक पदार्थोंका सेवन पुन: पुन: करने के लिए उकसाता है.
Tolerance
मादक पदार्थोंका सेवन पुन: पुन: करने के कारण, मस्तिष्क उसी के अनुरूप हो जाता है और कोशिकाओं की क्षमता को ’रिवार्ड सर्किट’ के माध्यम से प्रतिक्रिया देता रहता है. इसलिए जिसे मादक पदार्थों की भाषा में ‘High’ बोला जाता है,धीरे धीरे उस व्यक्ति को वो अनुभुती कम होने लगती है. इस प्रभाव को ‘Tolerance’ के नाम से जाना जाता है. ‘Tolerance’ को समाप्त करने केलिए, या तो मादक पदार्थो की मात्रा बढानी पडती है या फिर उसे कई बार दोहराना पडता है. अंतत: भोजन, सेक्स या सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से आनंद पाने की क्षमता व्यसनी व्यक्ति में कम हो जाती है
कौन से कार्य प्रभावित ?
मादक पदार्थों का दीर्घकालीन उपभोग, मस्तिष्क की से अन्य रासायनिक प्रणालियों और सर्किटों में भी परिवर्तन लाता है, जिससे निम्नलिखित कार्य भी प्रभावित होते हैं:
•किसी भी शिक्षा की प्रक्रिया
•निर्णयक्षमता
• निर्णय लेने की प्रक्रिया
• तनाव
•स्मृती
• सामान्य व्यवहार