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व्यसनाधीनता के प्रारंभिक चरण

व्यसनाधीनता क्या है ? सामान्यत: हम उस आदत को व्यसन कहते है, जिसे सामजिक स्तरपर अस्वीकार किया जाता है या ऐसे विपरित आदत के रूप में देखा जाता है, जो संभवत: व्यसनी व्यक्ति के लिए शारीरिक, मानसिक और वित्तीय नुकसान का कारण बनती है. इस प्रकार व्यसन शब्द का उपयोग आम तौर पर व्यक्तिगत जीवन के एक अंधेरे पक्ष के लिए किया जाता है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समाज को भी प्रभावित करता है.

यद्यपि यह कहा जाता है कि व्यसनाधीनता विपरित आदत की अटल परिणति है तथा यह एक धीमी प्रक्रिया है, किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि अधिकतर समय, व्यसनाधीनता के प्रारंभिक चरण,स्वेच्छा के,आत्म-पहल के होते हैं. यहां कुछ कारण दिए गए हैं, जिनका आधार लेके, सामान्यत: कोई व्यक्ति व्यसनाधीनता के मार्ग पर अपने प्रारंभिक चरणों को सही ठहराता है.

व्यसनाधीनता का आरम्भ

1) मैंने लोगों को इस व्यसन को अपनाते हुए देखा है, किंतु वे खुशी से रह रहे हैं, अपने जीवन का आनंद ले रहे हैं फिर मुझे इस आदतसे क्या हानि हो सकती है ?

2) मेरे मित्रों को यह आदत है.यदि मैं इस मित्र मंडली को बनाए रखना चाहता हूं, तो मुझे भी इस आदत को अपनाना होगा.

3) मैं मानसिक स्तर पर पूर्ण रूप से सक्षम हूँ. इस लिए मुझे नहीं लगता कि एक दो बार इस व्यसन को करने से मैं व्यसनाधीन हो जाऊँगा.

4) मैं इस आदत को संभालने के लिए पूर्णरूप से सक्षम हूँ.मेरी यह सक्षमता अन्य लोगों को प्रभावित कर देगी.

5) मैंने ऐसी महिलाएं देखीहैं, जो इस व्यसन को सहजता से संभाल रही हैं.और मैं तो एक पुरुष हूँ.मैं निश्चित रूप से इसे संभाल सकता हूँ.

व्यसनाधीनता का मध्य

6) यह आदत केवल टाइम पास के लिए है. मुझे विश्वास है कि मैं जब चाहूंगा, इसे रोकूंगा.

7) मैं इस तनाव को सहन नहीं कर पा रहा हूँ;यह आदत मुझे सुकून के कुछ पल देगी.

8) मैं यह केवलमौज के हेतू से कर रहा हूँ और इससे अधिक कुछ नहीं.

9) जब मैं इस आदत को अपनाता हूँ, तो मैं बहुत आकर्षक एवम प्रभावशाली दिखता हूँ या दिखने लगता हूँ.

10) यह आदत मेरे व्यक्तित्व को बढ़ाती है.

11) यह तो अब यहाँ के संस्कृति का भाग बन गया है,अतत: अब इसे अपनाने के लिए कुछ भी विपरित नहीं है.

12) इस व्यसन का यह मेरा अंतिम अनुभव है. इसके पश्चात मैं इस आदत को सदा के लिए छोड़ दूंगा.

13) इस आदत के प्रथम अनुभव के पश्चात मैं इस से सफलतापूर्वक दूर रहा हूँ.तो अभी केवल एक बार और अनुभव करने के बाद,मैं क्युँ नहीं संभाल पाऊंगा?

इस प्रकार के अन्य भी कारण हो सकते हैं, किंतु इन सब का सार यही है की व्यसन की विध्वंसक शक्ति को न पहचान पाना तथा मानसिक व शारीरिक रूप से सबल होने की अपनी क्षमताओं का भ्रम पालते रहना.

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