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* शिशिर ऋतु में संधिशोथ की पीडा से बचने के 5 उपाय *

क्या शिशिर ऋतु में आप के संधिशोथ अर्थात जोड़ों की सूजन से बचना चाहते हो ?

किसी भी उपाय को अपनाने के पूर्व यह समझना आवश्यक है कि शीतऋतु में संधिशोथ की पीडा में वृद्धी क्युं होती है ?

शिशिर ऋतु में संधिशोथ की पीडा में वृद्धी क्युं होती है ?

शिशिर ऋतु में, जोड़ों की सूचन, पीडा, तथा जकड़ी हुई मांसपेशियां सामान्य स्वास्थ्य समस्या है. शीतकाल में हड्डी एवमजोड़ों से संबंधितउपचारोंके के लिए रुग्णोंकी मात्रा में 50 प्रतिशत वृद्धी होती है.

त्वचा में बाहरी कारणों से होनेवाली किसी भी प्रकार की पीडा की संवेदना निर्माण करनेवाले संवेदक होते है जो शीतऋतु में अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. शीतऋतु में सामान्यत: वायु-दाब में गिरावट आती है  जो पीडादायक जोड़ों का कारण बनती है. जब वायूदबाव घटता है, ऊतकों में सूजन होती है, जोड़ों के बीच दबाव निर्माण होता है, जिससे पीड़ा होती है.

ठंड के कारण हाथ तथा पैर के उंगलियों को रक्त परिसंचरण कम होता है, जो सूजन पीड़ा को बढ़ाता है.शीतऋतु मेंसूर्यप्रकाश कम समय के लिए उपलब्ध रहता है, जिस से सूर्यप्रकाश के कारण शरीर को मिलनेवाले पोषक तत्वों का स्तर भी घटता है.

इस के कारणस्वरुप,  अस्थियां तथा जोड़ों में पीडा को बढ़ावा मिलता है.

कुछ सरल उपाय

1. आराम से पोशाक – अपने शहर में वातावरण के अनुसार, गर्म सर्दियों के कपड़े पहने या परतों में कपड़े पहने.

2. लगातार आप अपने हाथों, घुटनों, पैरों और सभी संयुक्त सूजन वाले क्षेत्रों को फैलाते रहे.

3. हाइड्रेट – हाइड्रेटेड रहने से आपको तेजी से गतिशील रहने में मदद मिलती है. वास्तव में, बाहर भी कोमल सूखने से आप तेजी से पीड़ा को छू सकते हैं.

4. व्यायाम – जबकि सर्दियों की ठिठुरन से एक रणनीतिक दूरी बनाए रखने के लिए यह उचित है, वर्तमान में संयुक्त पीड़ा वाले व्यक्तियों को गतिशील रहना चाहिए.

5.संयुक्त ठोसता और मांसपेशियों की कमी जैसी अभिव्यक्तियों में सुधार करने के लिए अंदर व्यायाम करें.

6. अपने आप को गर्म और आरामदायक रखें आराम करते हुए या दर्जन भर अपने आप को गर्म रखने के लिए इलेक्ट्रिक वार्मिंग कुशन, गर्म पानी की बोरी या इलेक्ट्रिक कवर का उपयोग करें.

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