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व्यसनाधीनता एक हानिकारक व्याधी

मादक पदार्थों की लत अर्थात मादक पदार्थों से जुडी व्यसनाधीनता एक हानिकारक व्याधी है, जिस के प्रमुख लक्षण है मादक पदार्थों को प्राप्त करने के लिए विशेष प्रयास करने की अनिवार्यता तथा उन पदार्थों का सेवन करने की तीव्र इच्छा. इन दोनो लक्षणों को नियंत्रित करना अतिकठीण होता है.

मादक पदार्थों के दीर्घकालीन सेवन से मस्तिष्क में ऐसे परिवर्तन होते है जो उस व्यक्ति के आत्म-नियंत्रण को ही ललकारते है जिस के परिणाम स्वरूप मादक पदार्थों का सेवन करने की तीव्र इच्छा को विरोध करने की उनकी क्षमता भारी मात्रा में घट जाती है. यही प्रमुख कारण है कि व्यसनाधीनता एक हानिकारक व्याधी बन जाती है जिस में पुनरावृत्ती होने की आशंका अधिक है. इसी कारण इससे निपटने के लिए विशेष रूप के उपचारों की आवश्यकता होती है.

रिवार्ड सर्किट

अधिकांश मादक पदार्थ सेवन के पश्चात, मस्तिष्क के रिवॉर्ड सर्किट को डोपामाइन की वृद्धि से प्रभावित करते हैं. रिवॉर्ड सर्किट में डोपामाइन की वृद्धि से मस्तिष्क को सुखद संवेदनाओंका अनुभव होता है, जिस के कारण उस व्यक्ति को मादक पदार्थाओं का सेवन दोहराने की तीव्र इच्छा होती हैं.

समय के साथ, मस्तिष्क अतिरिक्त डोपामाइन से परिचित हो जाता है, जिस के कारणस्वरूप डोपामाईन की उसी मात्रा से मिलनेवाली सुखद संवेदनाएं घट जाती हैं. इन संवेदनाओं को बढाने के लिए मादक पदार्थाओं की मात्रा बढाने के लिए व्यसनाधीन व्यक्ती उद्युक्त हो जाता है.

कौन व्यक्ती मादक पदार्थाओं के अधीन हो जाएगा, इस का कोई एक कारण नहीं होता. आनुवांशिक, मनोवैज्ञानिक,पर्यावरणीय एवम शारिरिक विकास से जुडे अनेक कारकों का एकत्रित परिणाम, व्यसनाधीनता को प्रभावित करता है. यह एकत्रित परिणाम जितना अधिक उतनी मादक पदार्थाओं के अधीन होने की संभावना भी अधिक होती है.

व्य्सनाधीनता पे उपचार हो सकते है. इसे नियंत्रित भी किया जा सकता है तथा पूर्णत: रोका भी जा सकता है. इस में परिवार के सदस्य, मित्र एवम स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होतीही है, किंतु सुयोग्य उपचार तथा उन से जुडी औषधीयों का भी मुख्य सहभाग रहता है.

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