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कृशता तथा शारीरिक दुर्बलता

शारीरिक स्थूलता या मेद की तरह, कृशता भी एक शारीरिक विकार है, जिसके कारण कई व्याधियाँ हो सकती हैं. जिस तरह एक बहुत मोटे व्यक्ति को, अपने दैनिक कार्यक्रम को बनाए रखने या काम को संभालने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उसी तरह एक बहुत ही कृश व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन के साथ काम करते समय, कई बाधाओंको झेलना पड़ सकता है. एक दुबले व्यक्ति को अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों में तुलनात्मक रूप से अधिक चिड़चिड़ाहट को झेलना पड सकता है.

कृशता के कारण

शारीरिक रूप से कृश / दुर्बल होने के कई कारण हो सकते हैं. सामान्य रूप से शारीरिक दुर्बलता को दो व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, वंशानुगत कृशता और गैर-वंशानुगत कृशता.

जैसा कि नाम से पता चलता है, पहली श्रेणी में, माता-पिता में से एक या दोनों की शारीरिक कृशता, किसी व्यक्ति की कृशता का मूल कारण हो सकती है. कभी-कभी, इसका परिणाम तब भी हो सकता है जब कोई स्त्री लगातार बच्चे जनती है या गर्भावस्था के काल मेंअनुचित पोषण पाती है.

दूसरी श्रेणी में, किसी व्यक्ति के सम्पूर्णजीवनकाल में टिकनेवाली दुर्बलता के कारणों में से एक हो सकता है,नवजातशैशवावस्था मेंपाया गया अपर्याप्त स्तनपान.बालकावस्था में कुपोषण भी जीवनभरकीकृशता का एक कारणबनसकता है.किसी व्यक्ति के आहार में, मेदयुक्त पदार्थ पर्याप्त मात्रा सेवन ना करना भी दुर्बलता का कारण बन सकता है. अपर्याप्त नींद भी शारीरिक कृशता का एक योगदानकर्ता हो सकती है.

इसके अतिरिक्त, कुछ अन्य कारण भी हैं, जिन का निवारण सहजसाध्य नहीं है :

  1. अत्यधिक चिंता, क्रोध, शोक, ईर्ष्या के कारण उत्पन्न होनेवाली मानसिक व्याधियां
  2. मादक पदार्थोओं का व्यसन, व्यसनाधीनता
  3. अत्यधिक यौनक्रिया या तत्सम व्यवहार

कृश शरीर तथा दृश्य दुर्बलता के अलावा शारीरिक कृशता के कुछ लक्षण इस प्रकार है :

  1. निस्तेज नेत्र
  2. नेत्रोंकेनीचे उत्पन्न होनेवाले काले घेरे
  3. रक्तहीनता दर्शानेवाला मुख
  4. पिचके हुए गाल
  5. निरंतर या दीर्घकाल टिकने वाली क्लांति
  6. दिन के अधिकांश समय,तरोताजा अनुभवन कर पाना.

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