growthon

कद बढाने के लिये कुछ व्यायाम

कद बढाने के कई उपाय है. किंतु व्यायाम के माध्यम से कुमारावस्था में कद बढाने के लिये कुछ सरल उपाय इस प्रकार है :

कुछ व्यायाम प्रकार

तैरना : आम तौर पर तैराकी शरीर के सभी भागों कोबढने के लिये उद्युक्त करती है,  परिणामस्वरूप ऊंचाई बढ़ाने में भी सहाय्यक होतीहै.  यहां मुख्य रूप सेऊपरी शरीर की मांसपेशियों का उपयोग होता है, किंतु तैराकी के प्रकार के आधार पर कभी-कभी कूल्हों और जांघों के उपयोगकिया जाता है। शरीर में सामान्य कार्डियो क्षमताओं कोबढने में सहाय्यक होता है.

कूदना : कूदना ऊंचाई बढ़ाने का सबसे आसान व्यायाम है.इस व्यायाम के दौरान,पिंडली की मांसपेशियों में निर्माण होनेवाला खिंचावतथा रीढ़ से संबंधित गतिविधियाँ शरीर के विकास के लिये आवश्यक हार्मोन को उत्तेजित करता है. यह पूरे शरीर में रक्त की आपूर्ति बढ़ाने में भी मदद करता है.

साधनों से संबंधित कुछ व्यायाम

रस्सी कूदना : रस्सी कूदना, कूदने का हीएक समन्वित रूप है, जहां कूदते समय पाँव तथा हाथ के स्नायुबंधन एवम मांसपेशियों मेंउपयुक्त खिंचावआता हैं, जिससे मांसपेशियाँसशक्त होती हैं। यह हड्डी के द्रव्यमान को बढ़ाने में भी सहाय्यता करता है जो अप्रत्यक्ष रूप से कद बढाने में उपयुक्त होता है.

पुल-अप्स: बार में लटक के व्यायाम करनेकीएक कठिन पद्धती है पुल-अप्स. पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण स्वरूप, अपने ही शरीर के वजनसे, पुल-अप्स के दौरान शरीर में उपयुक्त तनाव आ जाता है. सभी व्यक्ति दोष-रहित तरीके से पुल-अप नहीं कर सकते हैं, किंतु हाथों से शरीर के वजन को तोलने का सामान्य प्रयास भी शरीरविकास से संबंधित हार्मोन को प्रज्वलित करता है.

योगासन

कुछ सुलभ योगासन भी ऊंचाई बढ़ाने में सहाय्यकारी होते हैं.

भुजंगासन

यहां एब्स, पीठ का ऊपरी भाग तथा पीठ के नीचले भाग के स्नायूतथा उठाये हुए मस्तिष्क के कारण पूरा शरीर खिंचा जाता है.

भुजंगासन करने के चरण:

  1. अपने मुख को भूमीकी दिशा में करके भूमी पर लेट जाएं.
  2. अपने हाथों को अपने कंधो के नीचे रखें.
  3. धीरे से भूमी पर अपने पैरों का उपयोग करके अपने शरीर को फैलाएं. अपनी बाहों की सहाय्यता  से सांस लेते हुए अपनी छाती और धड़ के अधिकांश भाग को ऊपर उठाएं.
  4. आपका निचला शरीर अभी भी दृढ़ता से भूमी पर दबाया रहना चाहिए.
  5. पीठ का मरोड, रीढ़ के साथ समान स्वरूप में होना चाहिए.

6. गर्दन की मांसपेशियों में तनाव आने के लिए गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं.

7. 30 सेकंद के लिए इसी मुद्रा में रहे.

8. प्रवण स्थिति में वापस आते समय साँस छोड़ें.

हस्त-पादासन

इस आसन से मेरूदंड और मंदिराशिरा (हैमस्ट्रिंग)मेंउपयुक्त खिंचावआता है.जो अंतिमत: ऊंचाई में वृद्धि में सहाय्यकारी होता है.

हस्त-पादासन करने के चरण:

  1. सीधे खड़े रहें, श्वास लें और अपनी भुजाओं को आकाश की ओर इंगित करते हुए, हाथों को सीधे ऊपर की ओर फैलाएं.
  2. पैरों को सीधा रखते हुए सांस छोड़ें और आगे झुकें.
  3. अपने पैरों को हाथों से छूने काप्रयास करें. यदि संभव न हो, तो पैरों को झुकाए बिना,जितना संभव हो,हाथों को नीचे की ओर खींचने काप्रयास करें.
  4. 30 सेकंद के लिए इसी अवस्था में रहे.
  5. सातत्यपूर्ण अभ्यास के साथ,कोई भी सामान्य व्यक्ति पैरों को झुकाए बिना, हथेलियों से भूमी को छू सकता है.

सर्वांगासन

यह आसन थोड़ा कठिन है, लेकिन अभ्यास से सामान्य व्यक्ति पूर्ण मुद्रा प्राप्त कर सकेगा.  सकेगा. इस आसन में शरीर के कंधों के नीचले भाग को उर्ध्वदिशा में खिंचा जाता है.

सर्वांगासन करने के चरण:

  1. अपनी पीठ पर लेट जाएं और कंधों को मजबूती से भूमी पर टिकाएं.
  2. यदि आवश्यक हो तो अपने हाथों की सहाय्यता से अपने पैरों को ऊपर की ओर उठाएं.
  3. अब अपने हाथों को धीरे-धीरे पीछे,अपने कूल्हों की ओर ले जाएं. पैरों को सीधा रखते हुए उन्हें उपर उठाने का आरंभ करें.
  4. कूल्हे उपरी दिशा में उठने के पश्चात,अपनी पीठ को आधार देने के लिए हाथों को फिर से पीछे की ओर ले जाएं तथाशरीर को इस तरह से उठाएं कि आपका शरीर नब्बे अंशके कोने में आपकी गर्दन के पास झुक जाए.
  5. अधिकतम 40 सेकंद के लिए इसी मुद्रा में रहे.
  6. फिर धीरे-धीरे शरीर को ऊपर उठाएं, पैरों को घुटनों में झुकाकर अपने माथे के पास लाएं. फिर अपनी पीठ को नीचे करें ताकि यह भूमी को छू ले.
  7. चरण 1 पर लौटें.

त्रिकोणासन

यह आसन पैर, हाथ एवमवक्षपर विशेष रूप से खिंचाव डालता है. यह आसन मेरुदंड की

सीधाई को भी बेहतर बनाने में सहाय्यक है.

सर्वांगासन करने के चरण:

  1. अपने पैरों को फैलाकर सीधे खड़े रहें.
  2. अब अपने दाहिने पैर को दाहिनी दिशा में निर्देशित करें, जबकि बायां पैर मूल स्थिति में रहना चाहिए.
  3. दाहिने हाथ की उंगलियों से पैर छूने के उद्देश्य से दाईं ओर कमर के स्तर पर झुकना शुरू करें.
  4. जैसे ही दाहिने पैर को आप उंगलियों से छू लेते हैं, तो दाहिने पैरों पर दाहिनी हथेली रखने काप्रयास करें. इस समय दोनों पैर और दाहिने हाथ कहीं भी मुड़े नहीं होने चाहिए.
  5. अपने पैर छूने के लिए आगे या पीछे की ओर न झुकें. यदि आपको आगे या पीछे झुके बिना अपने पैरों को छूना कठिन लग रहा है,तो अपने पैरों को छूने काप्रयास न करें,इसके बजाय दाएं हाथ को केवल तब तक फैलाएं, जब तक कि आगे या पीछे की ओर झुकना न पडे.
  6. मस्तिष्क को इस तरह से हिलाएं, ताकि आप आकाश की ओर देख सकें.

7. अब अपनी बायीं भुजा को, दाहिनी भुजा के विपरीत दिशा में झुके बिना आकाश की ओर खींचें.

8. 30 सेकंड तक इसी मुद्रा में बने रहें.

9. अब मूल खड़े होने की स्थिति में वापस आने के लिए, इन चरणों को उलट दिशा में करे.

Related posts

Leave a Comment